Aapka Consultant

चेक बाउंस (Cheque Bounce Law in Hindi)

चेक बाउंस

हाल ही में वित्तीय लेन देन के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और चेक-बाउंस मामलों सेप्रभावित छोटी और मझो लीइकाइयों की मदद के लिए सरकार ने मौजूदा नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट -1881 में संशोधन को मंजूरी देदी है|आइये जानते है की चेक बाउंस है क्या|अकाउंट होल्डर यानी खातेदार जब किसी व्यक्ति को चेक लिखक रदेता है तब वह ये वादा करता है की किसी फिक्स तारीख पर तेयकी गयी / लिखी गयी रकम का वह भुगतान करेगा।अब किसी कारण वस यदि चेक लिखने वाला व्यक्ति अपने खाते में वह रकमन हीं बाये रख पता है और चेक स्वीकार करने वाला वह चेक बैंक में डाल देता है तब चेक बाउंस होताहै। चेक बाउंस होने के और भी कारण हो सकते है जैसे की अगर अकाउंट किसी कारण वश फ्रीज़ हो चुका है तो भले ही अकाउंट में कितना ही पैसा क्यों नहो,अगरआपने 3 महीने पुरानी चेक लगादी है या फिर ऐसी चेक जिसपर आगे की दिनांक लिखी है या चेक पर हस्ताक्षर न सही होना| किसी भी कारण से यदि चेक बाउंस होता है तो बैंक उस व्यक्ति पर  पेनालिटी लगाती है| चेक बाउंस के विषयो के लिए परक्राम्यलिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट)1881में धाराए बने गई है जिसमे धारा 138 में यह बताया गया है की कब चेक बाउंस मन जायेगा| इस धारा के अनुसार यदि चेक बाउंस होने के बाद वह व्यक्ति जिसने चेक दिया है उसे चेक बाउंस होने की नोटिस भेजी जाती है और फिर भी वह 15 दिनों के अंदर उस चेक का अमाउंट नहीं अदा करता है तो यह माना जाये गा की वह धारा 138 के अंतर्गत अपराधी है|ऐसी स्थिति में 15 दिनख़त्महोनेसे 30 दिनों के अन्दर दोषी पार्टी पर चेक बाउंस का अपराधिक केस किया जा सकता है( दोषी पार्टी द्वारा क़ानूनी नोटिस प्राप्त होने के 45 दिनोंकेअन्दर )|यदि व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अदालत से दोषी पाया जाता है तो उसे 2 वर्ष तक का कारावास और चेक के दुगने राशी तक का जुरमाना भुगतना पड़ सकता है| चेक बाउंस नोटिस के लिए यहाँ क्ली ककरे  – चेकबाउंस

OUR SERVICES

Company Registration I Trademark I Copyright I Patent I GST I MSME

 ISO Certification I Website/App Policy I Legal Documentation

Annual Compliance I Connect Consultant

Visit: Aapka Consultant to get Online Services of CA CS & Lawyers

Exit mobile version