वसीयत कानून (Will in Hindi)

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वसीयत कानून (Will in Hindi)
वसीयत कानून (Will in Hindi)

इच्छापत्र वह कानूनी दस्तावेज है जिसमे कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद किसी एक या अन्य व्यक्ति को अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित करता है| लेकिन अगर कोई भी वसीयत उस व्यक्ति के मृत्यु से पहले नहीं बनायीं गयी हो या या उस वसीयत में कुछ गलत हो और उससे लागु न किया जा सकता हो तब न्यायलय उस मृत व्यक्ति की संपत्ति को धर्म के कानून के तहेत बाटसकता है| वसीयतकर्ता की उम्र कम से कम १८ वर्ष की होनी चाहिए और वह दिमागी  रूप से स्वस्थ होना चाहिए|इच्छापत्र की कानूनी रूप से तभी वैधित्ता है, जब वह लिखित में हो और वह वसीयतकर्ता की नियत को दर्शाता हो| वसीयतनामा में वसीयतकर्ता के हक्ताक्षर होना कोई दो गवाह के सामने अनिवार्य है|

सबसे पहले वसीयत की घोषणा होनी चाहिए की वसीयतकर्ता अपनी सम्पति का उत्तराधिकारी किसी व्यक्ति को घोषित करने वाला है| वसीयत बनाने के लिएवसीयतनामा पर उस सम्पति के बारे में विस्तार पूर्वक सब बातें लिखी होना अनिवार्य है| वसीयत में वसीयतकर्ता की ओव्नेर्शिप के बारे में विस्तार से लिखा होना चाहिए| इसके बाद ही एक वैधिक वशियत या इच्छापत्र बनाया जा सकता है|

कोई भी वसीयत तभी पंजीकृत किया जा सकता है जब वह मृत व्यक्ति की आखरी इच्छा पर निर्धारित हो| पंजीकरण अधिनियम, १९०८ के तहेत किसी भी वसीयत को पंजीकृत किया जा सकता है, पर धारा १८ के तहेत वसीयत का पंजीकरण करवाना क़ानूनी रूप से अनिवार्य नही है| वसीयत पंजीकृत करने की प्रक्रिया की शुरुवात करने के लिए वसीयतनामा को सबसे पहले रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर पे जमा करवाना पड़ता है| जब वह रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार उस वसीयतनामा को जाँच लेता है और दिए गए दस्तावेजो से संतुष्ट हो जाता है, तब वह उनकी लिखावट रजिस्टर-बुक में कर देता है और वापसी में प्रमाण पात्र जरी करता है| वसीयत को कभी भी वसीयतकर्ताकी इच्छा अनुसार खण्डितकिया जा सकता है|

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