हाल ही में देखा गया है की विवाहपूर्व समझोता आनिवार्य होने वाला है जिसके तहत यह कहा गया की विवाह से पहले ही एक ऐसा समझोता करना जिसके विषय ऐसा है की तलाक होने के बाद दोनों को कितनी-कितनी सम्पति का आधिकारी बनाया जाएगा |
इस कानून को बनाने का सन्दर्भ यह है कि अक्सर देखा जाता है की महिलाये शादी टूटने के बाद आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़ जाती है | अलग हो जाने के बाद औरत एक तरफ जहाँ अनिशिचित रहती है भविष्य को लेकर वही दूसरी तरफ आदमी अव्यावहारिक मांगों से परेशान हो जाता है |
विवाह पूर्व समझोता एक लिखित समझोता होता है जिसमे दोनों पक्षों को ये बात लिखनी होती है की अलग हो जाने के बाद व सम्पति में किस तरह आधिकार प्राप्त करेंगे और कितनी संपत्ति किसके पास होगी, जिम्मेदारियों व कर्तव्यों के बारे में विस्तारपूर्वक तरीके से लिखा जाता है I
इतना होने के बाद इसको आधिकारी से पंजीकृत कराना होता है और ये कानूनी बाध्य होता है|
विवाह पूर्व समझोते को बनाने से यह लाभ होता है की हमें एक प्रकार से इस बात की जानकारी हासिल हो जाती की हमारे कर्त्तव्य क्या होंगे, संपत्ति पर किसका कितना अधिकार होगा |
बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होता है, आमतोर पर देखा गया है की अक्सर तलाक के मामलो में जो सबसे जादा परेशान होते है वे बच्चे होते हैI लेकिन इसके लागू हो जाने के बाद बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाता हैं |
इससे यह भी फयदा होगा की किसी भी एक व्यक्ति के ऊपर बोझ नही होगा. दोनों अपनी जिम्मेदारियो को बांट लेंगे| भारत में अभी कोई भी ऐसा कानून नही बना है जो हमें विवाह पूर्व समझोते के बारे में बताये | भारत की न्यायपालिका ने तेकैत मों मोहिनी जेमादै बनाम बसंता कुमार सिंह व् कृष्णा कुमार सिंह और कृष्णा एयर बनाम बलाम्मल में इस समझोते को खारिज कारार दिया है |
यह कानून अभी भारत में नहीं है, पर इसके लागू होने पर विचार विमर्श किया जा रहा है. इस संविदा से पति पत्नी का समय भी बचेगा व कोर्ट के चक्कर भी नही लगाने पड़ेगे |
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